फरार- Story
फरार
वो १९८६ का
दौर था जब अंडरवर्ल्ड का
बड़ा भाई, उस पावरफुल नेताजी सरकार के कहने पर दुबई भाग गया उसके बाद
मुंबई के अंडरवर्ल्ड में खलबली मच गयी. हर छोटा गैंगस्टर भाई
की जगह लेना चाहता था,
वैसे हे एक गैंगस्टर था
गन्या शिंदे उर्फ
सुपारी भाई, गन्या का बाप पहले मुंबई
के गोदी में
स्मगलिंग और शराब के गिरोह में काम करता था,
और बाप के एनकाउंटर में
मर जाने के
बाद उसके बेटे
गन्या के मन में सरकारी
व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा भर गया और वो भी बड़े भाई के गिरोह में शामिल हो गया,
उसका काम था बड़े भाई और नेताजी के लिए प्रोटेक्शन मनी
वसूलना, और भाई के लिये उनसे साम,
दाम, दंड के जरिये काम करवा लेना और प्रोटेक्शन मनी वसूलना. गन्या शिंदे
और उसका गैंग
काफी सालो से
ईमानदारी से भाई के लिए सभी बड़े लोगों और
सरकारी अफसरों पर
कण्ट्रोल बनाये हुए
था. लेकिन एक
दौर आया जब १९९३ में
मुंबई बम ब्लास्ट के बाद भाई का नाम वांटेड लिस्ट में
ऊपर आया और स्टेट की
सरकार ने सभी गैंगस्टरों को
ख़तम करने के
लिया स्पेशल एनकाउंटर सेल का गठन किया. उसका
इंचार्ज था सदानंद भिड़े, वो
एक ईमानदार और
सख्त पोलिसवाला था,
उसने एनकाउंटर का
वर्ल्ड रिकॉर्ड करने
का जैसे ठान लिया था और धड़ल्ले से जो भी गैंगस्टर उसकी हिटलिस्ट में था उनका एनकाउंटर करने
लगा, उसके खौफ
के कारन बहुत
से गैंगस्टर फरार
होने लगे और अब गन्या शिंदे को
लगा के अगर जान बचानी हो तो उसे मुंबई छोड़ कर फरार होना
पड़ेगा सो उसने पुणे के
एक गाँव में
जाने का प्लान बनाया, उसने
एक सरकारी पोस्ट
ऑफिस में ऑडिट इंस्पेक्टर बन
कर जाने के
तैयारी के उसने उसके सरकारी कॉन्टेक्ट्स से उसने जरूरी कागजात.और पहचान पत्र
बनवा लिया. उस गाव का नाम था हवेली जो बहुत छोटा और
बाकि दुनिया के
झनझट से दूर था. गन्या ने उसके गैंग को
तुरंत फरार होने
का हुकम दिया,
और खुद निकल पड़ा एक अनजान मंजिल
की और.
अगले दिन मुंबई के दादर बस स्टेशन से उसने सरकारी बस
पकडी जिससे स्टेशन पैर पुलिस की
नज़र से बच सके और वो ६ घंटे के
सफर के बाद पहुँचा हवेली
गाव्.
दोपहर का वक़्त ३ बजे एक बस गाव् के
बस अड्डे पर
रुकी. उसमे से
गन्या उतरा. उसके
हाथ में एक अटैची और
कुछ फाइल थी.
आलीशान गाड़ियों में
घूमने वाले गन्या
ने पहले बार
बस का सफर किया था
वो काफी ऊब
गया था, और उसे बाजु वाले बाबू
भी जो की काफी बातुनी था,
उस से वो चिढ
गया था और उसे लग रहा था के कब उसे छुटकारा मिले
गन्या जैसे बस हे
उतरा, उसके साथ
वाले बन्दे ने
सर निकलता हुए
बोला.
बस वाला बाबू: ठीक है
बाबू साहब कभी
हमारे गाव् आना
हुआ तो जरूर घर पधारे
गन्या: (अगर वो कभी उसे मुंबई मिलता
तो उसकी गर्दन
मरोड़ देता) मगर
उसने खुद को संभाला और
बोलै जी जरूर मुझे बडी
खुशी होंगी, धन्यवाद् और इतना बोलकर
उसने विदा ली
और आगे बढ़ा
बस जहा रुकी वहा कुछ लोग बैठे दिखे,
गन्या: बाबूजी ये पोस्ट ऑफिस कहा
पड़ता है
एक बूढा: बाबू इस
कच्चे रस्ते से
आगे जाइये, जो
भी बड़ी ईमारत आपको दीख
जायगे उन झोपड़ियों के बीच वो पक्का मकान ही
डाक खाना है
गन्या: ठीक है बाबाजी धन्यवाद्
थोडी देर चलने के बाद वो पोस्ट ऑफिस पहुँचता है, वो देखता है गाव् के सभी घर एकदम कच्चे है,
मगर डाक खाने की ईमारत बड़ी और नयी सी दीख रही है, उस ईमारत के सामने गार्डन और बगल में शायद रहने
के लिया कोठिया भी थी.
वो पोस्ट ऑफिस
में अंदर घुसता
है,
गन्या: स्टूल
पैर बैठे अर्दली से, अरे पोस्ट मास्टर कहा
बैठते है, उनसे कहना झोनल
ऑफिस से ऑडिट इंस्पेक्टर आये
है, रिकार्ड्स देखना
है.
अर्दली: गन्या की बात सुनकर जरा
गड़बड़ा जाता है
और तुरंत पोस्ट
मास्टरजी को बुलाने भागता है.
गन्या: वही एक कुर्सी पर बैठ जाता है
और आगे क्या बोलना है
वो सोचने लगता
है इतने में.
पोस्ट मास्टर: बाबू साहिब, आप
तार कर देते तो हम आपको रीसिव
करने के लिए आ जाते, आपको खाम खा तकलीफ हुइ. ए अर्दली जाओ
बाबूजी के लिया चाय नास्ते का प्रबंध करो, आइये बाबूजी मेरे
केबिन में बैठते है आराम से.
गन्या : पोस्ट
मास्टर साहब शायद
आप एनुअल चेकिंग का प्रोटोकॉल नही
जानते क्या, हम
आने की इत्तेलाह पहले नही
दे सकते, हम
रिकार्ड्स चेक करने आये है,ये हमारा पहचान पत्र. और गन्या उसे एक बनाया हुआ
पहचान पत्र दिखता
है.
पोस्ट मास्टर: कार्ड को उलट पुलट कर
देखता है और मासूमियत और
घबराहट का मिला जुला सा मुह बनता है, और थोड़ी देर
बाद संभल कर
कहता है, गलती हो गए बाबू साहब
आगे से ना होगी, आप सेवा का मौका दीजिये, मन मत करीयेगा बस रिपोर्ट जरा अच्छे बनाया, हम
आपके हुकम के
गुलाम है आप जो कहेंगे वही होगा.
इतने में अर्दली चाय नास्ता ले कर आता है,
पोस्ट मास्टर: लीजिये बाबूजी थोड़ा
चाय नास्ता कर
लीजिये, काम तो होता ही
रहेगा
थोड़े देर के बाद पोस्ट मास्टरजी इंस्पेक्टर साहब को रिकॉर्ड रूम लेकर जाते है.
थोड़ी तपदिश के
बाद
गन्या: मास्टरजी मुझे आपके
रिकार्ड्स कुछ ज्यादा लग रहे है, अगर आप अच्छे रिपोर्ट चाहते
हो तो शायद मुझे यहाँ
ज्यादा देर तक रुकना पड़े
ऐसे हेड ऑफिस को दीखाना पड़ेगा उसके
बाद हे में आपको अच्छे
रिपोर्ट दे पाउँगा तो आप, हमारे रहने
का प्रबंध करो
शायद कुछ दिन
हमे यहाँ रुकना पड़ेगा.
पोस्ट मास्टर: थोड़े ख़ुशी के
लहजे में बोलै जो हुकुम बाबूजी, कोई
कमी नही रहने देंगे आपके
खातिर दारी में
और हमे भी ये आपका अंदाज़ पसंद
आया जियो और
जीने दो वाला, ठीक है हम आपके रहने का
प्रबंध करवा कर
अभी आते है तब तक आप हमारे दालान आराम
फरमाए.
पोस्ट मास्टर घंटी
बजा कर एक कर्मचारी को
बुलाने के लिए कहता है,
उसके आने के बाद गन्या से, बाबू साहब ये
हमारे स्टाफ राजेश
है, ये आपको रिकार्ड्स बताएँगे,
गन्या राजेश की
तरफ देखता है,
और उसके शरीर
में एक काँटा सा दौड़ जाता है,
क्युकी राजेश कुछ
कुछ उसके राइवल
गैंग के लीडर मुन्ना की
तरह उसे नज़र आता है.
राजेश: नमस्ते बाबू साहब, आइये
हम आप को रिकार्ड्स दीखाते है, और इसके अलावा आप
हमारे मेहमान भी
है, तो अगर और कुछ भी सेवा लगे हम हाजिर है.
गन्या: मन
ही मन सोचता है, शायद इसने मुझे
नही पहचाना और
वो थोड़ा संभल
जाता है, और कहता है,
हां तो तुम मुझे पहले
रिकार्ड्स बताओ, फिर
बाकि बात करते है.
पोस्ट मास्टर: जी
बाबूजी तो आप रिकार्ड्स चेक
कर लीजिये और
तब तक हम आपके रहने
खाने का बंदोबस्त करकर आते
है, और हां आज शाम का खाना आप मेरे साथ मेरे क्वार्टर पर
खाएंगे,
गन्या: जी
जरूर, धन्यवाद्, तो
हम चलते है,
जरा कुछ काम शुरू कर
लिए जाये ताकि
जल्द ख़तम कर सके.
राजेश: जी
आइये हमारे साथ,
और दोनों रिकार्ड्स स्टोर के लिए
चल देते है
गन्या: कुछ रिकार्ड्स चेक
करने के बाद राजेश से
कहता है, राजेश ये रिकार्ड्स साफ़ नहीं मिलते है
कही कुछ गड़बड़ तो नहीं, और हस्ताक्षर भी साफ़ नहीं है,
पेनो का अकाल तो नहीं पड़ा है जो धुंदली इंक इस्तेमाल हुई है.
राजेश: नही
बाबूजी ये पुराने रिकार्ड्स है
जरा धुंदले पड
गए है. बाकि सब साफ़ है रिकार्ड्स भी और हम लोगों का काम भी.
गन्या: ठीक
है, वो तो पता चल जायेगा, बड़े
बड़े घोटाले जो
हमने आज तक पकड़े है.
थोड़े देर रिकॉर्ड्स देखने के
बाद राजेश खाना
लेकर आता है, और ठीक पांच बजे,
पोस्ट मास्टर खुद
इंस्पेक्टर साहब को
लेने आता है, और गेस्ट हाउस दीखता
है जो उनके रहने के
लिए तैयार किया
है
पोस्ट मास्टर: तो बाबूजी ये
आपके कमरा, और
अरे गजरी जरा
यहाँ तो आओ, देखो बड़े
बाबूजी है शहर से आये है, इनके यहाँ तुम
सब काम देख लेना, और
याद रहे कोई शिकायत का
मौका नहीं मीलना
चाहिए आखिर हमारे
गाव् की इज्जत का सवाल है.
गजरी: जी पोस्ट
बाबूजी, आप बेफिक्र रहे, हम हमारा काम
जानते है. हम कोई शिकायत का मौका नहीं देंगे
गन्या: गजरी की तरफ देखता है
और उसे एक और झटका लगता है
हो न हो ये वही मीना कुमारी है जो कभी मुंबई के
गैंगस्टर्स की पहली पसंद थी,
वो उस दौर की एक जानी मानी
एक्टर थी और उसका हर
चाहता और हर गैंगस्टर उसे
हासिल करना चाहता था, मगर एक दिन वो अचानक गायब हुयी,
कहते थे के वो मुंबई के एक बड़े गैंगस्टर उस्मान तलाल
के साथ दुबई भाग गयी. गन्या ने
उसे क्लबों में
बहुत बार देखा था मगर उसके उसूल
थे के वो कभी किसी औरत के चक्कर में
न पड़ेगा इसी
लिए उसे ये पक्का यकीन
था के राजन की तरह ये भी उसे पहचान नहीं पाएगी.
गन्या: ठीक है पोस्ट मास्टरजी, आप
इसे कल से आने के लिए कहे. अभी तो हम थोड़ा नाहा आराम
करना चाहते है.
पोस्ट मास्टर: ठीक है बाबू साहब, तो
गजरी अब तुम हमारे साथ
चलो बाबू साहब
के डिनर की
तैयारी करनी है,
और याद रहे इंस्पेक्टर साहब
की खातिरदारी में
कोई कमी ना रहे.
इतना कहकर मास्टरजी और गजरी चले
जाते है.
गन्या: थोड़ी देर
आराम करने के
बाद तैयार रहता
है. शाम ८ बजे मास्टरजी उसे उनके यहाँ दावत
के लिए ले कर जाते है.
वहा जाने के
बाद गन्या देखता
है के वह राजेश और
गजरी तो मौजूद है मगर पोस्ट मास्टर जी के घर पर और कोई भी सदस्य मौजूद
नहीं है थोड़ी देर बाद खूब आव भगत और दावत संपन्न होती है और आगे बातचीत शुरू होती
है.
गन्या: मास्टरजी मेहमान नवाजी में
आप का कोई जवाब नहीं.
पोस्ट मास्टर: धन्यवाद् बाबूजी ये
तो हमारा सौभाग्य हम समझते है
गन्या: वैसे मास्टरजी आपके
घर के और कोई सदस्य दिखाई नहीं
दे रहे है, क्या आप
अकेले रहते है.
पोस्ट मास्टर: जी बिलकुल अकेला
कहा बाबूजी, ये
पोस्ट महकमे और
गाव् के लोग ही हमारा परिवार है,
गन्या: काफी काम लोग है जो आपके तरह
सोचते है, आप दिल के बड़े है तभी ये सोचते है
राजेश और गजरी उनकी बाते
सुनते है और हा में हा मिलते है.
मगर गन्या को
अभी पता नहीं के उसके साथ जो होने वाला
है वो तो उसने सपने
नहीं सोचा होगा.
कुछ देर के बाद पान और मुखवास की, थाली आती है, पान खाने के बाद गन्या को
अचानक ऐसे लगता है की उसके आजु
बाजु में सब घूम रहा है, और वो चक्कर खा कर गिर पडता है.
दूसरे दिन जब गन्या के
आँख खुलते है,
और जब उसे होश आता है तो वो घबरा जाता है,
जब अपने आप
को वो किसे अँधेरे कमरे
में चार पाई पर रस्सी से बंधा पता है. और मुँह में कपडा ठूसा होने
की वजह से वो चिल्ला भी नहीं पाता, वो
अपने आप को छुड़ाने की
कोशिस करता है
मगर उससे वो
और थक जाता है और अंततः असहाय
हो सो जाता है.
जब थोड़ी देर के बाद
उसकी आँख खुलती है तो वो अब सोचने लगता
है क्या ये
लोग मुझे पहचान
गए, क्या ये
पुलिस के लोग है, अगर ये मुझे पहचान गए
है, तो कभी जिन्दा नही
छोड़ेंगे, तभी उस कमरे का
दरवाज़ा खुलता है,
उसमे से तीन साये अंदर
दाखिल होते है,
कमरे में अचानक आये उजाले से गन्या की आँखों अचानक बंद
हो जाती है,
वो धीरे
से आँखे खोलकर
देखने के कोशिश करता है
तो उसे समझ आता है के ये वही पोस्ट मास्टर और उसके दो
लोग राजेश और
गजरी है.
पोस्ट मास्टर: कहो
इंस्पेक्टर साहब रात
कैसे रही, अब हम जो भी पूछेंगे आपने सच
बताया नहीं तो
अपने जान से हाथ धो बैठोगे. बताओ
तुम असल में कौन हो, तुम्हे किसने
भेजा है, पुलिस ने या सीबीआई ने,
इंटरपोल ने जल्दी बताओ वरंना
ऐसे भुगतोगे के
तुम्हारी रूह भी काँप उठगे.
और उसने पास
हे पड़ी चिमटी उठाइ और
गन्या के नाखून में धंसा कर उसे उखाड़ लिया.
गन्या दर्द से
कराह उठा, उसकी उंगली से
खून बहने लगा,
मगर तीनो शांति
से उसके तरफ
देख रही थे जैसे कुछ
हुआ ही नहीं,
अब पोस्ट मास्टर का हाथ उसके दुसरी उंगली
पर गया, उसने वापस पूछा,
अब बताते हो
या, तभी राजेश आगे आया उसके हाथ
में लकड़ी थी
उससे उसने गन्या
को तब तक पीटा जब
तक के वो थक नही गया. गन्या दर्द से
चिल्ला उठा मगर मुँह बंद
होने के वजह से, बस उसकी चीख
अंदर ही अंदर सिमट गयी
और आँखों से
आंसू निकल आये,
अब उसे पता चला था के दर्द क्या होता
है, उसकी आँखों
के आगे अँधेरा छा गया, और वो बेहोश हो
गया.
जब उसे होश आया तो उसने देखा
के उसके हाथ
में सलाइन लगी
हुए है ताकि वो जिन्दा रह सके. अब गजरी सामने आयी.
गजरी: बता दो बाबू के तुम कौन हो वरना तूम्हारी खाल खींच ली
जायेगी और तूम देखते ही
रह जाओगे.
अब गन्या का
धीरज टूट गया और उसने उसकी सचाई
बता दे की वो मुंबई से भागा गैंगस्टर गन्या
शिंदे उर्फ सुपारी भाई है और वो एनकाउंटर से बचने के लिए इस गाव् में आकर छुपने का
उसका इरादा है.
जैसे हे तीनो ने ये सुना वो
सकते में पड गए, राजेश का तो जैसे खून
खौल उठा क्यूंकी गन्या की
वजह से उसे बहुत नुक्सान उठाना पड़ा था, उसके कितने
ही लोग गन्या की गैंग ने मार दिए थे, और गैंग के
ख़तम होने के
बाद आज उसे ऐसे चूहे के भाँती उस गांव में छुपाना
पड़ा, और आज
उसे अपने कदमो
पर देख राजेश अपने आप
को दर्द और
वहशीपन से हसने से
रोक नही सका.
राजेश: कुत्ते, आज
तूझे मेरे हाथो
से कोई नहीं बचा सकता, बहुत नुक्सान किया है तूने मेरा और
तेरी वजह से ही मुझे डर कर सुवर की
भाँती जीना पड
रहा है.
और जैसे हे
वो गन्या को
मरने के लिए आगे बढ़ा, पोस्ट मास्टर ने उसे रोक दिया.
पोस्ट मास्टर: राजेश
रुक जा अपना गुस्सा संभलकर रख, जैसे इसने
तुम्हारी ये हालत की है, उसे यही सुधारेगा. मेरे
पास एक प्लान है, और वो राजेश को लेकर बाहर चला
गया.
कमरे में गजरी ये यह सुन कर ज्यादा सन्न
रह गयी के गन्या शिंदे
जैसा लोगों को
जेब में रखने वाला भी
एनकाउंटर के डर से इधर भागता फिर
रहा है.
अब वापस पोस्ट
मास्टर और राजेश कमरे में
आते है! देखो शिंदे हमे
तुमसे दुश्मनी है
मगर अभी समय ऐसा है के अगर हम दुश्मन बन कर एक दूसरे से लड़ते है तो हमारा उसमे
कोई फायदा नहीं,
अगर तुम हमारा साथ देते हो तो हम तुम्हारी जान बक्श सकते है.
गन्या: अपनी कांपते आवाज में
ठीक है मुझे मंजूर है!
लेकिन मुझे पहले
काम क्या है
ये बताना पड़ेगा?
पोस्ट मास्टर: राजेश की तरफ देखता है,
और तुम्हे गृह
मंत्री मेहता से
हमारा काम निकलवान है! प्लान हम तुम्हे बना कर देंगे तूम्हे उसे अंजाम देना
है! क्या तुम
ये कर पाओगे?
मंत्री मेहता का
नाम सुन कर गन्या की
पुरानी यादें ताज़ा
होती है, वो उन दिनों की है जब मेहता एक कॉर्पोरेटर था और उसका बाप
उसके गैर कानूनी धंधे संभालता था. मगर नेता बनने के
चककर में मेहता ने उसके
बाप को एनकाउंटर में मरवा दिया,
और खुद सारा पैसा अंदर
कर लिया और
उसे पैसे से
आज टिकट खरीद
कर मंत्री बन
गया. अब गन्या को बदला लेने का
मौका सा मील गया.
गन्या: ये काम तो कोई भी छोटा मोटा पंटर
कर सकता है,
मगर मै ही क्यों?
पोस्ट मास्टर: तो सुनो ये मुंबई मेरा
हुआ करता था,
लोग मुझे कासिम
के नाम से जानते थे,
बड़ा भाई जो दुबई भाग
गया वो भी मुझे मानता
था! एक टाइम था मै बड़े भाई के लिए सब कुछ किया, यहाँ
तक के उसकी परछाइ बन
कर रहा, मगर बड़ा भाई और मै हम दोने देश छोड़ कर भागने वाले थे,
मगर भाई ने मुझे दगा
दे कर अकेले हे देश छोड़ा, और
मुझे यहाँ मरने
के वास्ते छोड़
गया. जाने से
पहले हम दोने ने प्लान बनाये था
सभी पासपोर्ट, वीसा
और सरकारी फरमान
तैयार थे मेरे और मीना के लिए लेकिन उस
मेहता ने बड़े भाई का साथ दिया और हमारे जो विदेश भागने के
कागजात थे वो मुझ तक नहीं पहुँचने दिये! और हमे इस तरह गांव में
भागना पड़ा जान बचने के
लिए.
हम तुम्हे मार
देते अगर तुम तुम्हारा सच
नाम नहीं बताते,
और मुझे पता
है तुम्हारे और
तुम्हारी बाप के उस मंत्री मेहता से
काफी पुरानी सम्बन्ध है! अगर तुम उस मंत्री का किसे तरह से अगर विश्वास जीत सको तो तुम हमारे विदेश
भागने के कागजात तो उसके पास है उन्हें हासील
कर हमे दे सकते हो
ताकि हम ये देश छोड़ कर भाग सके, उसके बदले में
हम तुम्हारी जान
बक्श दे! और तुम्हे भी
इस देश से बहार निकल
ने के लिए मदद कर सके!
गन्या: और अगर
मै भाग गया तो! तुम मेरा विश्वास कैसे कर सकते हो.
कासिम: विश्वास का तो हमे पता नहीं! मगर तुम धोखा नहीं
दे सकते क्यूंकी हमारा आदमी तुम्हारी साथ होगा और
तुम्हारी जान हमारे हाथ में! और मुझे पता है तुम्हे तुम्हारी जान तो गवानी नहीं है
क्यों?
गन्या को अब यकीन हो
गया था के वो वापस उसे मौत के भंवर में फस गया है जहा से वो शायद कभी निकल नही पायेगा! लेकिन वो
सोचा अगर सब सही हुआ तो शायद उसके किस्मत बदल जाये उसे
ले जाये उसके
आजादी की और.
और उस दिन से कासिम, मीणा राजेश
और गन्या की
प्लानिंग शुरू हुए
के किस तरह से वो मंत्री से
उन कागजात को
हासिल कर सके,
और तय प्लान के मुताबिक चारो अब
मंत्री मेहता से
मिलने के लिया मुंबई की
और रवाना हुए,
उन्होंने गन्या के
मुंबई आने के बारे में
मेहता को न्यूज़ मिले इसके
इंतजाम किया.
मेहता भले ही पॉलिटिशियन था
मगर उसे ऐसे गैंगस्टरों के
जरुरत थी क्यूंकी वो उसके राजनीतिक प्रतिद्वंदी लोगों
पर धाक रखना चाहता था
और उसके दो
नंबर के धंदो के लिए कोई सँभालने वाला कोई प्यादा उसे चाहिए था.
तो उसे लगा मौका अच्छा
है गन्या शिंदे
को वो अपना आदमी बना
कर एक तीर से दो शिकार कर
पायेगा.
मंत्री मोहता ने
एक दिन उसके कर्जत वाले
फार्म हाउस पर
गन्या के साथ मीटिंग फिक्स
की.
मंत्री मोहता का
फार्म हाउस उसके
१०० एकड़ खेत पर फैला हुआ था, वह ऐशो आराम के
साथ सिक्योरिटी के
तगड़े इंताजाम थे,
मोहता फार्म हाउस
की हॉल में बैठा है,
बड़ा सा विदेशी फर्नीचर, कीमती
सजावट के सामन, सामने ट्रे
भर कर शराब के बोतले और खाने की चीज से भरी थालियां रखी हुइ है.
इतने में उसका इण्टरकॉम फ़ोन
बज उठता है
और वो रिसीव करता है,
सिक्योरिटी: सर कोई गन्या शिंदे आप
से मिलने गेट
पैर आये हुए है, क्या इनको अंदर
छोड़ना है.
मेहता: हाँ हाँ जल्दी अंदर भेजो उसे, और अगर इसके बाद
कोई मिलने आए तो कहना मंत्री जी मीटिंग है कल बात करेंने ठीक है.
सिक्योरिटी: जी
सर,
गन्या शिंदे मेहता
के हॉल में प्रवेश करता
है
मेहता: आओ शिंदे भाई आओ कहो कैसे हो, क्या लोगे विस्की या रम.
गन्या: नहीं मेहता इतने
महंगी तो मुझे चढ़ती नहीं
हम तो ठहरे देसी वाले,
ये बिदेशी तो
हमारे लिए बिना दूध वाली चाय के तरह है.
मेहता: अरे
चिंता क्यों करते
हो भाई वो भी हम रखते है,
पीना चाहोगे, आज
ही अपने ठैके पर बनी है, लो यह रही संतरा और
यह रही मोसम्बी इत्मीनान से
पीओ
गन्या: आओ
जरा चख तो लू के क्या बन
रहा है आपके यहाँ आज
कल, और वो एक घूँट पीता है,
मेहता साब ये तो कुछ खास जमी नहीं, किस
को रखा है आपने आज कल इसे घोटने. देसी कम पानी ज्यादा लग
रही है.
मेहता: अरे
शिंदे इसे लिये तो तुम को याद किये, ये
नया छोकरों के
बस का काम नहीं है,
आ जाओ मेरे साथ काम करो एक
दिन मुंबई का लीकर किंग बना दूंगा तुम्हे, और कब तक अकेले भागते फिरोगे, अब तो में
मंत्री भी हूँ, तो तुम्हे किसे से डरने की कोई जरुरत नहीं.
गन्या: मेहता साब, बस आप ही है जो अपनों
की जरुरत समझ सकते है! आज से जो आप बोलोगे वो करने के लिये में तैयार हूँ आप कहे तो
जान भी दे दू.
मेहता: अरे भाई जान नहीं बस साथ दे दे, इस मुंबई पर राज
करेंगे दोनों मिल कर.
और दोनों हँसते
है, उस दिन दोनों ने बहुत देर तक बात की, और अब उस दीन के बाद गन्या मेहता का दारू
कारोबार सँभालने लगा और कुछ दिन के बाद मेहता ने उसके बाकी २ नंबर के काम भी उसके हाथ
दे दिए. अब गन्या को लग रहा था के मेहता पूरे तरह से उस पर विश्वास कर रहा है, तब एक
दिन उसका फ़ोन बजा, फ़ोन पर कासिम था, उसने गन्या को याद दीलाया के उसे आगे क्या करना
है.
मेहता की एक
और कमजोरी थी उसकी बीवी और एक मंत्री के हैसियत से अपनी साफ़ छवि को संभालना, और उसी
का फायदा उठा कर कासिम ने कुछ प्लान बनाया था और अब मीना को प्लान में शामिल किया.
एक शाम मेहता
और गन्या फार्म हाउस पैर बैठ कर बात कर रहे थे.
गन्या: मेहता साब दिन तो ठीक है मगर रातों
का क्या, आपकी बीवी तो खूब खबर लेती होंगी आप की अगर आप घर देर से जाते होंगे तब.
मेहता: अरे भाई बीवी तो है, मगर शादी शुदा
ज़िंदगी में मज़ा नहीं है, खूब जूते खाने पड़ते है कभी कभी तो. और बाहर आज कल वो परिंदा
कहा जिसे देख कर दिल खुश हो जाये
गन्या: अरे मेहता साब, आप हुकम तो दो आपके
मतलब की चीज़ ढूंढ कर लायेंगे.
अब गन्या को
इंतजार था उस दिन का जिस दिन वो प्लान के मुताबिक मीना को मेहता के जिंदगी में लाये.
और जल्द हे एक बड़ी फिल्मी पार्टी में उन्होंने जुगाड़ कर मेहता को न्योता दिया और जैसे
हे मेहता पार्टी में पहुँचा गन्या ने मेहता को किसे से मिलने का इंतजाम किया वो थी
मीना.
गन्या: मेहता साब याद है आपसे मैंने कहा था,
किसे स्पेशल से मिलवाऊंगा आपको
मेहता: हां हां याद है, मुझे
गन्या: तो इनसे मिलिए ये है मैडम मीना, फिल्म
एक्ट्रेस, इनके फिल्म परदेसीया तो देखी होंगे आप ने, मीना आगे आ कर हैंडशेक करती है!
मेहता: आप को कौन नहीं जानता मीना जी, आपसे
मिलकर बड़ी खुशी हुइ!
मीना: ये तो हम जैसे कलाकारों की खुशनसीबी
है के आप के जैसे कला के कदरदान इस समाज में मौजूद है!
तभी गन्या किसे
से मिलने का बहाना कर दोनों तो छोड़कर एक और चला जाता है
मीना प्लान
के मुताबिक मेहता को उसके मीठे बातों से जीत लेती है! और दोनों का मिलना जुलना उस दिन से बढ़ जाता है.
मीना का मेहता के फार्म हाउस पर आना शुरू हो जाता है
अब कासिम को
लगता है के अगला प्लान राजेश और गन्या को मीणा के साथ अंजाम देना है और वो उनका आख़री
दाव होगा, जिससे वो उनके मिशन और करीब जा सके,
और जल्दी हे
एक दिन मीना और मेहता फार्म हाउस पैर बैठे हुए थे,
मीना: मेहता जी आपको अपने जिंदगी में बहुत
कुछ मिला मगर आप जिंदगी खुल कर नहीं जी पाते.
मेहता: क्या करे मीनाजी, आज तक ऐसे कोई हमे
मीला हे नहीं, जिससे हम अपने दिल के बात खुल कर कह सके!
मीना: तो आप हमसे वो बात कह सकते है और वो
दोनों अंदर के कमरे में चले जाते है!
इतने में गन्या
राजेश को अपना गैंग मेंबर बता कर, फार्म हाउस में एंट्री करता है
गन्या: राजेश अब तुम पिछले दीवार के तरफ जाओ
वह बैडरूम के खिड़की से जल्द से फोटो निकल लाओ.
राजेश: ठीक है तब तक तुम यहाँ सामने पहरा दो
ताकि अगर कोई आये तो तुम उसे संभाल सको.
राजेश फार्म
हाउस के पीछे चला जाता है और गन्या आगे पहरे देने के लिया रुकता है थोड़े हे देर में
फोटो निकल कर आता है और दोनों वह से चले जाते है!
अब उनके हात
वो सबूत है जिनके बदौलत वो मेहता पर काबू कर सकते थे और उनके बात मनवा सकते थे!
जल्द हे एक
दिन मेहता को एक गुमनाम खत मिलता है उसमे उसकी और मीना की तस्वीरें और एक खत है! खत
लिखने वाले ने मेहता को अकेले मिलने बुलाया ताकि वो उनके बदले मेहता से उसके बात मनवा
सके! और एक दिन तय मुताबिक मेहता उस इंसान से मिलने चला जाता है.
एक सुनसान स्टेशन
जहा ट्रैन से एक आदमी अपना मुँह ढके उतरता है, वो और कोई नहीं मेहता है!
उसके उतारते
ही हे एक कुली आगे बढ़ता है, वो कुली और कोई नही कासिम है!
कुली: बाबू साहब बड़ा भारी सामान है! गुलाबी
गाव् जाना है क्या!
मेहता गुलाबी
गाव् का नाम सुनकर समझ जाता है के ये वही इंसान है जिसने उसे मिलने बुलाया!
मेहता: देखो
तुम मेरे साथ ऐसे नहीं कर सकते, तुम्ही पता है में कौन हूँ, तुम्हे बहुत महंगा पड़ेगा!
कुली: साहब जरा होश से काम ले तो बेहतर, वरना
आप की ये गर्मी निकलने में ज्यादा देर नहीं लगेंगी, क्या आप चाहते हो के वो तस्वीरें
किसे न्यूज़ पेपर के फ्रंट पेज पर या आपके घर पर जाये. और आप तो ये अच्छी तरह जानते
होंगे, एक बार आपकी ये छवि ख़राब हुई तो आप को न आपकी पार्टी खड़े करेंगे न हे आपके घर
वाले.
मेहता: तुम मुझसे चाहते क्या हो!
कुली: अब आप एक अच्छे इंसान की तरह बात कर
रहे है, अभी तो आप चलिए मेरे साथ, हम लोग अकेले में आगे की बात करे तो आप के लिए अच्छा
होगा.
और वो दोनों
स्टेशन के बाहर निकल कर एक घोडा गाड़ी में बैठ जाते है, घोडा गाड़ी कासिम चलाता है थोड़ी
देर चलने के बाद वो एक बंद घर के आहाते में उतर जाते है!
कासिम इशारा
कर के मेहता को उसके पीछे आने के लिए कहता है
दोनों उस इमारत
के हॉल में आ कर रुक जाते है, वो कोई पुराना सा मकान है, बाहर से जर्जर मगर अंदर से
उसे अच्छे तरह से मेन्टेन किया हुआ है! ये कासिम का मुंबई वाला सेफ हाउस था.
कुली मेहता
को एक सोफे पैर बैठने के लिए कहता है और उसे पीने के लिए पानी देता है जिसे मेहता घटा
घट पी जाता है!
कुली: तो मंत्री जी शायद आपने पहचाना नहीं,
में गैंगस्टर कासिम हूँ
कासिम का नाम
सुनकर मेहता पसीना पसीना हो जाता है!
मेहता: कासिम भाई, रेहम करो में बर्बाद हो
जाऊंगा चाहे जितने पैसे देने के लिए में तैयार हूँ, मगर वो तस्वीरें पब्लिक में या
मेरे घर पर न जाने पाये
कासिम: मेहता साब, आप हमारा कहना मान जाते
हो तो हम आपको वो तस्वीरें और उसके ओरिजिनल नीगैटिवस लौटा सकते है.
मेहता: ठीक है बोलो कितना पैसा चाहिए तुम्हे,
कासिम: हमें १०० खोका और आप होम मिनिस्टर है,
तो हमे देश के बाहर निकलने के लिए आपका लेटर और हमारे पासपोर्ट्स चाहिए जो बड़े भाई
ने तुम्हारे पास रखे थे.
मेहता: वो तो सब ठीक है, मगर तुम्हारा विश्वास
कैसे करू के तुम उसके बाद वो फोटोज और नेगेटिव मुजे दे दोगै,
कासिम: आपको शायद ये नहीं पता कासिम एक बार
जबान दे देता है तो कभी नहीं मुकरता, अगर में मेरे जबान से मुकरा तो मुझे वो उप्परवाला
माफ़ नही करेगा और उसे से बड़ा मेरे नज़र में और कोई नही, तो आप इत्मीनान रखे, अगर आप
वैसे ही करोगे जैसे हमने कहा तो आप को जो चाहिए वो मिलेगा.
मेहता: और वैसे भी अब मुझे अब तुमपर यकीन करने
के सिवा कोई चारा नहीं है, तो ठीक है तुम जैसे बोलोगे वैसे में करूँगा बस मुझे कुछ
दिन की मोहलत चाहिए,
कासिम: ठीक है आपको १ महीने का वक़्त देते है,
और याद रखना उससे ज्यादा एक दिन भी नहीं.
मेहता के पास
अब कासिम की बात मानने के सिवा और कोई चारा नज़र नहीं आ रहा था, कुछ ही देर में दोनों
वापस रेलवे स्टेशन पहुंचे, और एक ट्रैन में वापस मेहता सवार हो कर मुंबई की और रवाना
हुआ, उसे ट्रैन के डिब्बे के माहोल से लग रहा था के कोई इंसान जो उसके साथ ट्रैन से
उतरा था वही इंसान वापस उसके डिब्बे में है और शायद उसपर नज़र रख रहा है! मगर उसने ज्यादा
ध्यान नहीं दिया, क्यूंकी उसके दिमाग में अब कासिम की मांग पूरे करने का चक्कर चल रहा
था.
कुछ दिन के
बाद मुंबई क्राइम ब्रांच का ऑफिस, सदानंद भिड़े के ऑफिस का फ़ोन बज उठता है और फ़ोन पर
दूसरे तरफ के व्यक्ति से बात करने के बाद शायद वो कुछ सोच में जाता है, थोड़ी देर सोचने
के बाद उसने उसके ड्राइवर से गाड़ी निकलने के लिए कहा और मंत्रालय के और चल पड़ा,
राज्य गृह मंत्रालय,
मेहता जी का ऑफिस
मेहता जी उनके
डेस्क पैर बैठे कुछ कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श कर रहे थे तभी अर्दली ने उन्हें सदानंद
भिड़े के आने के खबर दी, उन्होंने आनन् फानन में कार्यकर्ताओं को बाद में आने के लिए
कहा, और अर्दली को सदानंद भिड़े को उसके केबिन में भेजने के लिए कह.
सदानंद भिड़े
मेहता जी के केबिन में दाखिल होता, उन्हें सलूट करता है, मेहता उसे बैठने के लिए कहते
है.
मेहता: कहो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आज मुझे कैसे
याद किया.
भिड़े: सर कुछ बात ही ऐसी सीरियस है, मुझे
मेरे खबरियों से ऐसे पता चला है के गैंगस्टर कासिम दुबई भागने की फिराक़ में है, और
उसे कोई आपके ऑफिस से मदद कर रहा है.
मेहता ये सुनकर
चौंक जाता है, मगर अपने आप पर काबू करकर,
मेहता: भिड़े मुझे पता है तुम एक काबिल और ईमानदार
पुलिस ऑफिसर हो, और तुम्हारी खबर बिलकुल पक्की होगी, तुम्हे पूरी छूट है, आखिर तुम्हारी
वजह से हे तो मुंबई का आज गैंगस्टर से मुक्त है, और तुम लॉ एंड आर्डर को काबू में करने
के लिए सरकार तुम्हारी शुक्रगुजार है. अगर मुझसे कुछ मदद चाहते हो तो जरूर मांगो मै
हाजिर हूँ.
कुछ दिन के
बाद भिड़े का ऑफिस, वो और उसकी टीम उसका कबिन में कुछ डिसकस कर रहे थे तभी, उसका असिस्टेंट
उसके हाथ में एक लेटर देता है, वो लेटर पढ़कर भिड़े जोर जोर से हसने लगता है,
इंस्पेक्टर: सर क्या बात है, कोई खुश खबरी है क्या
भिड़े: हाँ खुश खबर भी है और ताज्जुब भी, मुझे
दिल्ली हेडक्वार्टर्स प्रमोट किया है और इस अगले महीने ज्वाइन करने के लिए कहा है.
इंस्पेक्टर: सर बहुत बहुत बधायी आप को.
भिड़े: मगर ताज्जुब इस बात का है के हम कासिम
का केस सुलझाने वाले थे के अचानक ये ट्रांसफर ऑर्डर्स, कुछ फ़िशि लगता है, मगर क्या
करे सरकारी मुलाजीम को तो बस ऑर्डर्स फॉलो करने पड़ते है.
कुछ दिन के
बाद, एक सरकारी अध्यादेश पर एनकाउंटर सेल को ख़ारिज कर दिया जाता है, उसमे कहा जाता
है के अब गैंगस्टर्स पर पुरी तरह से काबू कर लिया गया है, तो इस अलग डिपार्टमेंट की
कोई जरुरत नहीं,
मेहता अपने
गेस्ट हाउस पर किसे के आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है
इतने में सिक्योरिटी
ने उन्हें किसे के आने के खबर दी, उसने उन्हें अंदर आने के लिए कहा
मेहता: आओ भिड़े आओ, सुना है नयी पोस्टिंग मिले
है सीधे सेण्टर में मुबारक हो,
भिड़े: सर मुझे पता है ये तो आपहीकी सिफारिश
का नतीजा है, आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
इतने में सिक्योरिटी
ने कुछ और लोगो के आने के खबर दी
मेहता ने उन्हें
भी अंदर भेजने के लिए कहा
अब आने वाले
लोग थे कासिम और राजेश
भिड़े कासिम और राजेश को देख केर चौक गया और
कासिम और राजेश उसे मगर मेहता ने उन्हें विश्वास दीलाया के भिड़े को उन्होंने बस उनकी
सेफ्टी के लिए बुलया है.
मेहता: तो कासिम ये तुम्हारे १०० करोड़ ट्रांसफर
किये जायेंगे तुम्हारे दुबई वाले नए अकाउंट में , और ये तुम्हारे पासपोर्ट्स और ये
होम मिनिस्ट्री की क्लीयरेंस रिपोर्ट जिससे तुम कहे भी देश के बहार आ जा सकते हो बस
अब तुम अपने डील के मुताबिक मेरे मतलब के चीज़ मुझे लौटा दो.
कासिम: जी मंत्री साहब ये आपकी अमानत इसे चेक
कर लीजिये.
और वो फोटो
वाला एनवेलप और कैमरा मेहता को देता है.
मेहता: उन्हें देख कर तस्सली करने के बाद,
ठीक है ये तो सब सही है अब इनका कुछ काम नही और वो उन्हें पास में जल रही अंगीठी में
फेक देता है ताकि वो जल कर ख़तम हो सके.
मेहता उसके
कंप्यूटर के तरफ इशारा कर के कासिम को दीखाता है के उसके मांगी रकम उसके दुबई वाले
अकाउंट में ट्रांसफर हो चुकी है.
मेहता: भिड़े साहब अब आपके लिए एक काम है क्या
आप करना चाहोगे.
भिड़े: जी मंत्री जी जो आप कहे,
मेहता: फ़िक्र मत करो भिड़े उसका अलग से इनाम
दूंगा ये लो २ करोड़ तुम्हे एक काम करना है! कल शाम को चार लोगों को दुबई के फ्लाइट
में मुंबई से एयरपोर्ट से विआईपी बनाकर ले कर जाना है ताकि वो फ्लाइट में बिना दिक्कत
बैठ सकै.
भिड़े: वैसे पैसे की कोई जरुरत नहीं थी, मगर
आप की कोई बात कैसे टाल सकता हूँ, आप इतना प्यार से दे रहे है तो रख ही लेता हूँ.
सभी ठहका लगा
कर हसने लगते है
कुछ देर बाद
सब चले जाते है
मेहता: अपने आप से बोलता है, किसे ने खूब कहा
है नारी से बच कर ही रहना चाहिए वरना बड़े बड़े राज पाट बर्बाद हो जाते है.
भिड़े बहार निकलता
है और उसके साथीयें को कहता है तैयार हो जाओ कल कुछ विआईपीज को मुंबई एयरपोर्ट एस्कॉर्ट
करना है.
दूसरे दिन पुलिस
एस्कॉर्ट्स के साथ चारो कासिम मीना, राजेश और गन्या दुबई की फ्लाइट से देश के बाहर
चले जाते है.
कुछ दिन के
बाद पुलिस को एक पत्थरों से कुचली हुइ लाश मिलती है जिसे गैंगस्टर गन्या शिंदे की बताई
जाती है, और उसके फाइल हमेशा के लिए बंद कर दी जाती है
और एक दिन सुबह
भिड़े उसके बंगले में न्यूज़ पेपर पढ़ रहा होता है! तो उसका ध्यान एक खबर पर जाता है,
“गैंगस्टर कासिम और एक्ट्रेस मीना को दुबई में देखा गया“, वो हँसता है और कहता है चलो
एक और “फरार” हो गया! देश की गन्दगी साफ़
हो रही है अच्छा है अच्छा है!
नोट: इस कथा
के सभी पात्र और प्रसंग काल्पनिक है
राइटर कांटेक्ट:
vyawhareprashant11@gmail.com
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